¿Cuáles son algunos de los mejores poemas de “mejores amigos”?

तेरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे

कहाँ है मगर ऐ दोस्त पुराने मे

भी ख़ुश्बू है मगर मेरा तजस्सुस बेकार

र्गे -आवारा की मानिंद ठिकाने मेरे

्अ की लौ ा मगर हिज्र की रात

र तक रोता रहा कोई सरहाने मेरे

्क़ की बेख़बरी है कि मिरी रुस्वाई

मुझको ही सुनाते हैं फ़साने मेरे

के भी ्ा से ारा दामन

देख ग़ारतगरे-दिल ये भी ख़ज़ाने मेरे

इक र बरस बीत गया उसके बग़ैर

के होते ाने मेरे

ाश तू भी मेरी आवाज़ कहीं सुनता हो

र पुकारा है तुझे दिल सदा ने मेरे

ाश तू भी भी ाए मसीहाई को

आते हैं ाने मेरे

ाश औरों की तरह मैं भी कभी कह सकता

सुन ली री आज ख़ुदा ने मेरे

है किस हाल में ऐ जूद-फ़रामोश मिरे

मुझको तो छीन लिया अहदे-वफ़ा ने मेरे

चारागर यूँ तो बहुत र ऐ जाने-‘फ़राज़ ‘

तेरे और कोई ज़ख़्म न जाने मेरे

जुज = distinto de

सुस्सुस = Talash / consulta

बर्गे -आवारा = hoja

मानिंद = igualmente

हिज्र = separación

ख़ल्क़ = público

रुस्वाई =

ग़ारतगरे-दिल = दिल लूटने वाला

मसीहाई = curar

जूद-फ़रामोश = जल्द भूलने वाले

अहदे-वफ़ा = वफ़ा का वादा, भक्ति का प्रण

चारागर = curandero